इस पुस्तक के प्रथम अध्याय में भारत छोड़ो आंदोलन में क्रांतिकारी महिलाओं का योगदान से संबंधित है, दूसरे अध्याय में भारत सरकार के द्वारा विशेष या दिव्यांग वाली बालिकाओं के लिए समावेशी शिक्षा से संबंधित है, तृतीय अध्याय में वर्तमान भारतीय समाज में सशक्त महिलाओं के योगदान की भूमिका का वर्णन है, चतुर्थ अध्याय में जिन क्रांतिकारी महिलाओं ने समाज सुधार कार्य किए और वर्तमान स्वरूप में राजनीतिक क्षेत्र में भी अपना महान योगदान दिया, पांचवें अध्याय में राजस्थान की धरा पर आजादी से पूर्व और आजादी के बाद जिन महान महिलाओं ने यहां पर सामाजिक कार्य किए और अपने राष्ट्र के प्रति अपने आप को समर्पित किया आदि का वर्णन है, अध्याय 6 में जब देश आजाद हो रहा था महिलाओं को एक तरफ प्रताड़ित किया जा रहा था उनको समाज में जोड़ने के लिए डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने महिलाओं के अधिकारों और समाज में उच्च शिखर पर लाने के लिए कई संवैधानिक प्रावधान जोड़ें आदि का वर्णन है तथा अध्याय 7 जो कि दिव्यांग बालिकाओं को स्वच्छता और शौचालय के संबंधित जानकारी से संबंधित है जहां भारत सरकार ने इनके लिए स्वच्छता और शौचालय संबंधित अभियान चलाकर के इनको भी समाज में नया आयाम दिया है।
इस पुस्तक का कार्य मैंने अपने अजीज मित्र श्री विपिन कुमार राव के साथ संपन्न किया है। यह पुस्तक आजादी से पूर्व भारत छोड़ो आंदोलन की भूमिका में और राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन के सहयोग में नारियों का जो महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वर्तमान भारत में लोकतांत्रिक स्वरूप में जहां नारियां अपने आप को प्रताड़ित रूप से देख रही थी वहां अनेक सशक्त महिलाओं ने प्रशासनिक, सामाजिक और राजनीतिक सरोकार से जोड़ करके उनको महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।