यह पुस्तक प्राकृतिक खेती के बारे में है। समय आ गया है कि हमें प्राकृतिक खेती के बारे में सोचना चाहिए। अंतत: हमें प्राकृतिक खेती पर आना ही होगा। प्राकृतिक खेती अर्थात जीवाणुओं की खेती । खेती की इस पद्धति का मुख्य आधार सूक्ष्म जीवाणु हैं । सूक्ष्म जीवाणु और केंचुए एक दूसरे के सहयोगी हैं । जब सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि होती है तो केंचुओं की संख्या भी बढ़ती है तथा जब केंचुओं की संख्या बढ़ती है तो सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या में भी वृद्धि होती है । दोनों ही परस्पर एक दूसरे का सहयोग करते हैं। प्रकृति को प्रेरणास्रोत मानकर और भूमि को जीवित अस्तित्व समझकर जो खेती की जाती है वह है प्राकृतिक खेती ।
डॉ. हरिओम, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार से प्रधान वैज्ञानिक (शस्य विज्ञान) के पद से सेवानिवृत्त हैं। वर्तमान में हरियाणा सरकार के द्वारा लागू की गई परियोजना में स्टेट ट्रेनिंग एडवाइजर (प्राकृतिक खेती) के तौर पर प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण संस्था, गुरुकुल कुरुक्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। इनके मार्गदर्शन में हरियाणा व देश के विभिन्न प्रदेशों के वैज्ञानिकों, कृषि विभाग के अधिकारियों और किसानों को लगातार प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आईसीएआर के द्वारा देश में लागू किए गए प्राकृतिक कृषि के मिशन के लिए देश के लगभग 425 कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों को इनके मार्गदर्शन में प्रशिक्षित किया गया है। इस प्रशिक्षण केंद्र पर हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड आदि प्रदेशों के हजारों किसानों को भी प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षित किया गया है। इसके साथ साथ इन्होंने खेती के विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर खोज का कार्य भी किया है और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के जर्नलस में प्रकाशित किया है। इन्हें हरियाणा के मुख्यमंत्री एवं देश के प्रधानमंत्री के द्वारा सम्मानित किया गया है।
डॉ. बलजीत सिंह सहारण ने प्राकृतिक खेती और कृषि सूक्ष्म जीव विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ये कृषि पारिस्थितिकी पर आधारित कृषि की स्थिरता के विशेषज्ञ हैं। इन्होने प्राकृतिक कृषि पद्धतियों में उपयोग किए जा रहे विभिन्न जैव-आदानों पर व्यापक शोध किया है और विभिन्न जानवरों के गोबर की सूक्ष्म विविधता पर भी व्यापक रूप से काम कर रहे हैं। वर्तमान में, वे वरिष्ठ वैज्ञानिक / सह अधिकारी- जैव उर्वरक उत्पादन और प्रौद्योगिकी केंद्र, माइक्रोबायोलॉजी विभाग, सीसीएस हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार (भारत) के प्रभारी के रूप में कार्यरत हैं। ये जर्मनी और संयुक्त राज्य अमेरिका में पोस्ट-डॉक्टरल अध्ययन के लिए प्रतिष्ठित DAAD (इंडो-जर्मन) अवार्ड 2003 और रमन फेलोशिप (इंडो-यूएस) 2013 के प्राप्तकर्ता हैं। 2021 में, उन्हें माइक्रोबायोलॉजी और टिकाऊ कृषि के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए प्रतिष्ठित लुई पाश्चर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। ये देश भर में ZBNF/SPNF/प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। ये प्राकृतिक कृषि पद्धतियों पर डॉक्टरेट और मास्टर शोध के लिए छात्रों का मार्गदर्शन भी करते रहे हैं। डॉ. बलजीत सिंह सहारण 21 पीएच.डी. और 50 एम.एससी. छात्रों का मार्गदर्शन कर चुके हैं । इन्होने विभिन्न कृषि पद्धतियों पर 110 से अधिक शोध पत्र, 3 पुस्तकें और अन्य मैनुअल प्रकाशित किए हैं।
डॉ. विजय, महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय, करनाल में सहायक प्राध्यापक (फल विज्ञान) के पद पर कार्यरत हैं। इन्होंने एमएससी और पीएचडी (हॉर्टिकल्चर) की डिग्री चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार से की है। पिछले कुछ वर्षों से डॉ विजय बागवानी फसलों में प्राकृतिक कृषि के कार्य से जुड़े हुए हैं और प्राकृतिक कृषि के विभिन्न विषयों पर शोध कार्य करते हुए इन्होंने प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नलस में शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। इसके साथ साथ गुरुकुल कुरुक्षेत्र (हरियाणा) के 180 एकड़ के प्राकृतिक कृषि फार्म पर बागवानी फसलों पर किए जा रहे प्राकृतिक कृषि के कार्य से सक्रिय तौर पर जुड़े हुए हैं और हरियाणा तथा देश के कई अन्य प्रदेशों से आने वाले किसान, कृषि विभाग के अधिकारी और कृषि वैज्ञानिकों को प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षण देने के कार्य में भाग ले रहे हैं।
डॉ. वेद प्रकाश चहल ने गोविंद बल्लभ पन्त कृषि एवम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर से कृषि एवम पशुपालन विज्ञान में ऑनर्स के साथ स्नातक और कृषि संचार एवम विस्तार में स्नातकोत्तर तथा चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार से पीएचडी ( कृषि विस्तार शिक्षा)की उपाधियां प्राप्त की हैं।डा चहल वर्तमान में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के मुख्यालय में प्रधान वैज्ञानिक (कृषि विस्तार) के पद पर हैं। पूर्व में डा चहल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में ७ वर्ष से अधिक सहायक महानिदेशक (कृषि विस्तार) तथा प्रभारी उप महानिदेशक के पद पर रह चुके हैं।